२५ डिसेंबर आज मनुस्मृती दहन दिन !!

आज मानवतेचा दिन आहे असं म्हटलं तर वावगं ठरणार नाही कारण आजच्या दिवशी दोन महत्वाच्या गोष्टी घडल्या... पहिली म्हणजे जगाला विश्वशांती आणि मानवतेचा संदेश देणारे ख्रिश्चन धर्मसंस्थापक येशू ख्रिस्त यांचा जन्म दिन आणि दुसरी म्हणजे तमाम भारतीय स्त्रियांना आणि ब्राम्हणेतरांन ब्राम्हणी गुलामगिरीतुन मुक्त करण्यासाठी मनुस्मृतीच दहन करुन बाबासाहेबांनी दिलेला मानवतेचा संदेश.
 


 आज मनुस्मृती दहन दिन !!


आज दि. २५ डिसेंबर १९२७  रोजी विश्वरत्न डॉ.बाबासाहेब आंबेडकरांनी त्यांचे सहकारी 'सहस्रबुध्दे' यांच्या हातुन विषमतावादी, जातीवादी, कर्मकांडवादी, वर्णवादी, व्यवस्थेला धरून चालणारी "मनुस्म्रूती" चे २५/१२/१९२७ साली बाबासाहेबांनी महाड येथे मनुस्मुर्तीचे दहन केले आणी बहूजनांना जातीवादी समाजरचनेतून मुक्त केले.


 

चला मनुस्मृतीत काय आहे हे जाणून घेऊ या....
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आज मनुस्मृती या ग्रंथाविषयी देत आहे. मी कुण्या एका धर्मविरोधी नाही माझा उदेश एकच आहे धर्मात जे चुकीचे आहे ते मांडणे.....


 

कृपया माझ्या प्रिय मित्र-मैत्रीणीनी मला समजुन घ्यावे आणि समर्पक प्रतिक्रिया देणे !!!!!!!


 

मी "मनुस्मुर्ति" ग्रंथात काय दिले आहे ते संक्षिप्त स्वरुपात मांडतो आहे,

 



"मनुस्मुर्ति" में क्या कहा हैं... यह देखिये-


 



१- पुत्री,पत्नी,माता या कन्या,युवा,व्रुद्धा किसी भी स्वरुप में नारी स्वतंत्र
नही होनी चाहिए.
- मनुस्मुर्तिःअध्याय-९ श्लोक-२ से ६ तक.

 


२- पति पत्नी को छोड सकता हैं, सुद (गिरवी) पर रख सकता हैं, बेच
सकता हैं, लेकिन स्त्री को इस प्रकार के अधिकार नही हैं.
किसी भी स्थिती में, विवाह के बाद, पत्नी सदैव पत्नी ही रहती हैं.
-मनुस्मुर्तिःअध्याय-९ श्लोक-४५

 


३- संपति और मिलकियत के अधिकार और दावो के लिए, शूद्र
की स्त्रिया भी "दास" हैं, स्त्री को संपति रखने का अधिकार नही हैं,
स्त्री की संपति का मलिक उसका पति,पूत्र, या पिता हैं.
- मनुस्मुर्तिःअध्याय-९ श्लोक-४१६.

 


४- ढोर, गंवार, शूद्र और नारी, ये सब ताडन के अधिकारी हैं,
यानी नारी को ढोर की तरह मार सकते हैं....तुलसी दास पर भी इसका प्रभाव
दिखने को मिलता हैं, वह लिखते हैं-"ढोर,चमार और नारी, ताडन के
अधिकारी."
- मनुस्मुर्तिःअध्याय-८ श्लोक-२९९

 


५- असत्य जिस तरह अपवित्र हैं, उसी भांति स्त्रियां भी अपवित्र हैं,
यानी पढने का, पढाने का, वेद-मंत्र बोलने
का या उपनयन का स्त्रियो को अधिकार नही हैं.
- मनुस्मुर्तिःअध्याय-२ श्लोक-६६ और अध्याय-९ श्लोक-१८.

 


६- स्त्रियां नर्कगामीनी होने के कारण वह यग्यकार्य या दैनिक अग्निहोत्र
भी नही कर सकती.(इसी लिए कहा जाता है-"नारी नर्क का द्वार")
-मनुस्मुर्तिःअध्याय-११ श्लोक-३६ और ३७ .

 


७- यग्यकार्य करने वाली या वेद मंत्र बोलने वाली स्त्रियो से
किसी ब्राह्मण भी ने भोजन नही लेना चाहिए, स्त्रियो ने किए हुए सभी यग्य
कार्य अशुभ होने से देवो को स्वीकार्य नही हैं.
-मनुस्मुर्तिःअध्याय-४ श्लोक-२०५ और २०६ .

 


८- - मनुस्मुर्ति के मुताबिक तो , स्त्री पुरुष को मोहित करने वाली
- अध्याय-२ श्लोक-२१४ .

 


९ - स्त्री पुरुष को दास बनाकर पदभ्रष्ट करने वाली हैं.
अध्याय-२ श्लोक-२१४

 


१० - स्त्री एकांत का दुरुप्योग करने वाली.
अध्याय-२ श्लोक-२१५.

 


११. - स्त्री संभोग के लिए उमर या कुरुपताको नही देखती.
-अध्याय-९ श्लोक-११४.

 



१२- स्त्री चंचल और हदयहीन,पति की ओर निष्ठारहित होती हैं.
अध्याय-२ श्लोक-११५.

 


१३.- केवल शैया, आभुषण और वस्त्रो को ही प्रेम करने वाली, वासनायुक्त,
बेईमान, इर्षाखोर,दुराचा री हैं .
-अध्याय-९ श्लोक-१७.

 


१४.- सुखी संसार के लिए स्त्रीओ को कैसे रहना चाहिए? इस प्रश्न के उतर
में मनु कहते हैं- (१). स्त्रीओ को जीवन भर
पति की आग्या का पालन करना चाहिए.
-मनुस्मुर्तिःअध्याय-५ श्लोक-११५. (२).

 


१५. पति सदाचारहीन हो,अन्य स्त्रीओ में आसक्त हो, दुर्गुणो से भरा हुआ
हो, नंपुसंक हो, जैसा भी हो फ़िर भी स्त्री को पतिव्रता बनकर उसे देव
की तरह पूजना चाहिए.
- मनुस्मुर्तिःअध्याय-५ श्लोक-१५४.

 


१६. वर्णानुसार करने के कार्यः - -
महातेजस्वी ब्रह्मा ने स्रुष्टी की रचना के लिए ब्राह्मण,क्षत्रिय,वैश्य और
शूद्र को भिन्न-भिन्न कर्म करने को तै किया हैं - - पढ्ना,पढाना,यग्य
करना-कराना,दान लेना यह सब ब्राह्मण को कर्म करना हैं.
-अध्यायः१:श्लोक:८७ -

 


१७. प्रजा रक्षण , दान देना,यग्य करना, पढ्ना...यह सब क्षत्रिय
को करने के कर्म हैं.
-अध्यायः१:श्लोक:८९ -


 


१८. पशु-पालन , दान देना,यग्य करना, पढ्ना,सुद (ब्याज) लेना यह वैश्य
को करने का कर्म हैं.
-अध्यायः१:श्लोक:९०.

 


१९. द्वेष-भावना रहित, आंनदित होकर उपर्युक्त तीनो-वर्गो की नि:स्वार्थ
सेवा करना, यह शूद्र का कर्म हैं.
- अध्यायः१:श्लोक:९१. (२) प्रत्येक वर्ण की व्यक्तिओके नाम कैसे हो?:-
-

 



२०. वर्ण की श्रेष्ठा का अंकन :-
- ब्राह्मण को विद्या से.
- क्षत्रिय को बल से.
- वैश्य को धन से.
- शूद्र को जन्म से ही श्रेष्ठ मानना.
(यानी वह जन्म से ही शूद्र हैं)
- अध्यायः२:श्लोक:१५५.

 



२१. विवाह के लिए कन्या का चयन:-
ब्राह्मण सभी चार वर्ण की कन्याये पंसद कर सकता हैं.
- क्षत्रिय - ब्राह्मण कन्या को छोडकर
सभी तीनो वर्ण की कन्याये पंसद कर सकता हैं.
- वैश्य - वैश्य की और शूद्र की ऎसे दो वर्ण
की कन्याये पंसद कर सकता हैं. -
- शूद्र को शूद्र वर्ण की ही कन्याये विवाह के लिए पंसद कर सकता हैं.
- (अध्यायः३:श्लोक:१३)
(यानी शूद्र को ही वर्ण से बाहर अन्य वर्ण की कन्या से विवाह नही कर
सकता.)

 



२२. अतिथि विषयक:-
- ब्राह्मण के घर केवल ब्राह्मण ही अतिथि गीना जाता हैं, (और वर्ण
की व्यक्ति नही)
- क्षत्रिय के घर ब्राह्मण और क्षत्रिय ही ऎसे दो ही अतिथि गीने जाते थे.
- वैश्य के घर ब्राह्मण,क्षत्रिय और वैश्य तीनो द्विज अतिथि हो सकते हैं,
लेकिन ...
- शूद्र के घर केवल शूद्र ही अतिथि कहेलवाता हैं
- (अध्यायः३:श्लोक:११०) और कोइ वर्ण का आ नही सकता...

 



२३. पके हुए अन्न का स्वरुप:-
- ब्राह्मण के घर का अन्न अम्रुतमय.
- क्षत्रिय के घर का अन्न पय(दुग्ध) रुप.
- वैश्य के घर का अन्न जो है यानी अन्नरुप में.
- शूद्र के घर का अन्न रक्तस्वरुप हैं यानी वह खाने योग्य ही नही हैं.
(अध्यायः४:श्लोक:

 



२४. महिलाओ के साथ गैरकानूनी संभोग करने हेतू:-
- ब्राह्मण अगर अवैधिक(गैरकानूनी) संभोग करे तो सिर पे मुंडन करे.
- क्षत्रिय अगर अवैधिnक(गैरकानूनी) संभोग करे तो १००० भी दंड करे.
- वैश्य अगर अवैधिक(गैरकानूनी) संभोग करे तो उसकी सभी संपति को छीन
ली जाये और १ साल के लिए कैद और बाद में देश निष्कासित.
-शूद्र अगर अवैधिक(गैरकानूनी) संभोग करे तो उसकी सभी संपति को छीन
ली जाये , उसका लिंग काट लिआ जाये.
- शूद्र अगर द्विज-जाती के साथ अवैधिक (गैरकानूनी) संभोग करे
तो उसका एक अंग काटके उसकी हत्या कर दे.
(अध्यायः८:श्लोक:३७४,३७५,३७९)

 



२५. हत्या के अपराध में कोन सी कार्यवाही हो?:-
- ब्राह्मण की हत्या यानी ब्रह्महत्या महापाप. (ब्रह्महत्या करने
वालो को उसके पाप से कभी मुक्ति नही मिलती)
- क्षत्रिय की हत्या करने से ब्रह्महत्या का चौथे हिस्से का पाप लगता हैं.
- वैश्य की हत्या करने से ब्रह्महत्या का आठ्वे हिस्से का पाप लगता हैं.
- शूद्र की हत्या करने से ब्रह्महत्या का सोलह्वे हिस्से का पाप लगता हैं.
(यानी शूद्र की जिन्द्गी बहोत सस्ती हैं)
- (अध्यायः११:श्लोक:१२६)


 


यह सिर्फ trailer था ऐसा समझा जाये, फिर देखिये मनुस्मृती मै और कितनी गंदगी होगी.. ऐसी मनुस्मृती को लाने के लिये आज भी भारत का एक समाज काम कर राहा है, क्यूंकी उनको उपर दिया हुआ सब भारत मै लाना है, उन्हे अपनी उच्चता चाहिये.

 



http://sndiamond.blogspot.com/2013/04/manusmruti.html?m=1



 


खालील लिंकवर बरीच पुस्तके PDF स्वरुपात उपलब्ध आहेत ती तुम्ही डाउनलोड करुन वाचु शकता.

 


http://yashwantmanohar.com/vaicharek/ambedkaranni-manusmruti-ka-jalali/


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http://yashwantmanohar.com/category/vaicharek/
 



 


धन्यवाद- Amol Kore-Mali

1 comment:

धन्यवाद !!

छत्रपती शिवाजी महाराज

ज्या काळी स्वातंत्र्याचा विचार करणंही जीवघेणं ठरायचं , त्या काळी ५ पातशाह्यांना तोंड देत हिंदवी स्वराज्याला स्वत:चं सिंहासन बहाल केलं ते छत्...