फातिमा शेख... पहली मुस्लीम शिक्षिका !!
आज से लगभग १५० सालों तक भी शिक्षा बहुसंख्य लोगों तक नहीं पहुँच पाई थी. जब विश्व आधुनिक शिक्षा में काफी आगे निकल चूका था लेकिन भारत में बहुसंख्य लोग शिक्षा से वंचित थे. लडकियों की शिक्षा का तो पूछो मत क्या हाल था. क्रांतीसुर्य जोतीराव फुले पूना में १८२७ में पैदा हुए. उन्होंने बहुजनो की दुर्गति को बहुत ही निकट से देखा था. उन्हें पता था की बहुजनों के इस पतन का कारण शिक्षा की कमी ही है. इसी लिए वो चाहते थे कि बहुसंख्य लोगों के घरों तक शिक्षा का प्रचार प्रसार होना ही चाहिए. विशेषतः वो लड़कियों के शिक्षा के जबरदस्त पक्षधर थे. और इसका आरंभ उन्होंने अपने घर से ही किया. उन्होंने सब से पहले अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले को शिक्षित किया. जोतीराव अपनी पत्नी को शिक्षित बनाकर अपने कार्य को और भी आगे ले जाने की तय्यारियों में जुट गए.
ये बात उस समय के सनातनियों को बिलकुल भी पसंद नहीं आई. उनका चारों ओर से विरोध होने लगा. जोतीराव फिर भी अपने कार्य को मजबूती से करते रहे. जोतीराव नहीं माने तो उनके पिता गोविंदराव पर दबाव बनाया गया. अंततः पिता को भी प्रस्थापित व्यवस्था के सामने विवश होना पड़ा. मज़बूरी में जोतीराव फुले को अपना घर छोड़ना पडा. उनके एक दोस्त उस्मान शेख पूना के गंज पेठ में रहते थे. उन्होंने जोतीराव फुले को रहने के लिए अपना घर दिया. यहीं जोतीराव फुले ने अपना पहला स्कूल शुरू किया. उस्मान शेख भी लड़कियों की शिक्षा के महत्व को समझते थे. उनकी एक बहन फातिमा थीं जिसे वो बहुत चाहते थे. उस्मान शेख ने अपनी बहन के दिल में शिक्षा के प्रति रूचि निर्माण की. सावित्रीबाई के साथ वो भी लिखना पढना सिखने लगीं. बाद में उन्होंने शैक्षिक सनद प्राप्त की.
क्रांतीसुर्य जोतीराव फुले ने लड़कियों के लिए कई स्कूल कायम किये. सावित्रीबाई और फातिमा ने वहां पढ़ाना शुरू किया. वो जब भी रास्ते से गुज़रतीं तो लोग उनकी हंसी उड़ाते और उन्हें पत्थर मारते. दोनों इस ज्यादती को सहन करती रहीं लेकिन उन्होंने अपना काम बंद नहीं किया. फातिमा शेख के ज़माने में लडकियों की शिक्षा में असंख्य रुकावटें थीं. ऐसे ज़माने में उन्होंने स्वयं शिक्षा प्राप्त की. दूसरों को लिखना पढना सिखाया. वो शिक्षा देने वाली पहली मुस्लिम महिला थीं जिन के पास शिक्षा की सनद थी. फातिमा शेख ने लड़कियों की शिक्षा के लिए जो सेवाएँ दीं, उसे भुलाया नहीं जा सकता. घर घर जाना, लोगों को शिक्षा की आवश्यकता समझाना, लड़कियों को स्कूल भेजने के लिए उनके अभिभावकों की खुशामद करना, फातिमा शेख की आदत बन गयी थी. आखिर उनकी म्हणत रंग आने लगी. लोगों के विचारों में परिवर्तन आया.वो लड़कियों को स्कूल भेजने लगे|लडकियों में भी शिक्षा के प्रति रूचि निर्माण होने लगी. स्कूल में उनकी संख्या बढती गयी. मुस्लिम लड़कियां भी ख़ुशी ख़ुशी स्कूल जाने लगीं.
(सावित्रीमाई फुले और फातिमा शेख जी अपनी स्कूल की २ छात्राओ के साथ... १०० वर्षापूर्वी निगेटीवरून तयार केलेले हे दुर्मिळ छायाचित्र.)
विपरीत परिस्थितियों में प्रस्थापित व्यवस्था के विरोध में जाकर शिक्षा के महान कार्य में जोतीराव एवं सावित्रीबाई फुले को मौलिक साथ सहयोग देने वाली पहली मुस्लिम शिक्षिका फातिमा शेख को दिल से सलाम !!
When Fatima shaikh was born and death with place.and what is her father's and mothers name please say
ReplyDeleteI have proud of fatima ji. I hope you too.......
ReplyDeleteI have proud of fatima ji. I hope you too.......
ReplyDeleteI have proud of fatima ji. I hope you too.......
ReplyDeleteMr unknown, kuchh Mehnat aap bhi karen- lekhak ne Apni Zimmedaari Nibhayi, kuchh aap bhi Kijiye.
ReplyDeleteKahin aisa to nahi ki Savitri bayi fule ke saath Fatma Sheikh ka naam Dekh kr Aapke Uchch Varniya AHAM ko DHAKKA LAG gaya hai...?
सही बात है.फातीम बहन ना होती तो शायद सावित्रीबाई जैसी महान शिक्षिका भी ना होती.
ReplyDeleteसही बात है.फातीम बहन ना होती तो शायद सावित्रीबाई जैसी महान शिक्षिका भी ना होती.
ReplyDeleteहमे बहोत गर्व है की जब भारत मै बहूसंख्य लोगों और खासकर महिलाओ को शिक्षा से दूर रखा जाता था ऊस दौर मे आदरणीय फातिमाजी ने क्रांतीज्योती सावित्रीजी का साथ दिया और समस्त महिलाओको पढने का प्रोत्साहण दिया....उनकी जन्म तिथी के अवसर पर उनको शत शत नमण....
ReplyDeleteहमे बहोत गर्व है की जब भारत मै बहूसंख्य लोगों और खासकर महिलाओ को शिक्षा से दूर रखा जाता था ऊस दौर मे आदरणीय फातिमाजी ने क्रांतीज्योती सावित्रीजी का साथ दिया और समस्त महिलाओको पढने का प्रोत्साहण दिया....उनकी जन्म तिथी के अवसर पर उनको शत शत नमण....
ReplyDeleteजय क्रांतिज्योति और जय फातिमा शेख को विनम्र अभिवादन!🙏
ReplyDeleteजय क्रांतिज्योति और जय फातिमा शेख को विनम्र अभिवादन!🙏
ReplyDeleteअगर सावित्रीबाई फुले और फमिमा शेख न होती तो शिक्षा नही होती
ReplyDeleteबहुजनों की आवाज़ उठाने और बहुजन समाज के महापुरुषों को जानने के किये अपनी वेबसाइट BAHUJAN AWAAZ SAGAR
ReplyDeleteWebsite:- https://www.bahujanawaazsagar.blogspot.com
फातिमा के बारे मे बहुत कम है थोडा और खोजना होगा
ReplyDeleteYes
Deleteयह बहुत ही गर्व का विषय है कि सावित्री बाई फुले के साथ मिल कर पुणे में फातिमा शेख नामक मुस्लिम महिला ने बालिकाओं और महिलाओं में ऐसे समय में शिक्षा की ज्योति जलाई, जब पूरा समाज महिला सशक्तिकरण का विरोधी था. दोनों महान महिलाओं को सादर नमन और ह्रदय से श्रद्धांजलि अर्पण....
ReplyDeletehttp://vidarbhaapla.com
-कल्याण कुमार सिन्हा
यह बहुत ही गर्व का विषय है कि सावित्री बाई फुले के साथ मिल कर पुणे में फातिमा शेख नामक मुस्लिम महिला ने बालिकाओं और महिलाओं में ऐसे समय में शिक्षा की ज्योति जलाई, जब पूरा समाज महिला सशक्तिकरण का विरोधी था. दोनों महान महिलाओं को सादर नमन और ह्रदय से श्रद्धांजलि अर्पण....
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-कल्याण कुमार सिन्हा
फ़ातिमा के नाम से कोई संस्था पुणे में कार्यरत है क्या अभी?
ReplyDelete🙏
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